Thursday, February 21, 2019

ओ पहाडिन!

ओ पहाडिन!

तोहार हमार कौन कौन चीज मिलत है?
मन मिलत है
सोच मिलत है
भविष्य कय योजना मिलत है
नाहीँ मिलत है तो
खाली ई नाम कय पिछे आय वाला नाम

पिताजी से जब भेट भए रहा
तब बडे सम्मान से हम
"बुवा नमस्ते" किहे रहेन
ऊ कुछ नाहीँ बोलिन् रहेँ
तूँ ही बाद मे बतायो कि
उ गुस्सा होइ गए रहेँ
"किन मधिसे रोजिस्?"
कहत रहेँ


पिछले भेलेन्टाइन मे बडे प्रेम से
सुनौली जाई के बाह्र ठू चूडी लैकै आए रहेन
कब्बो पहिनाये नाहीँ हन् न
पहिनावत के दूई ठू टूट गए रहा
और तोहरे कलाई पे कटी गए रहा
उ घाव से बहत खून कय रङ और
तोहरे चेहरे के लाली एक्के रङ कय रहा
गौर से देख्यौ कि नाहीँ
ऊ रङ हमरे दिल मे भी घूमत है

ओ पहाडिन!
तोहार हमार कौन कौन चीज मिलत है?
दिल मिलत है
रूची मिलत है
भविष्य कय योजना मिलत है
नाहीँ मिलत है तो
खाली ई हमरे परिवार कय भाषा
तू जवन भाषा बोलत हिउ
हम तो सिख गय हन्
हम जवन भाषा बोलित हन्
तोह कय वैसे समझ मे आय जात है

 ओ पहाडिन!
तोहार हमार भाषा
काहे यी लोगन कय समझ मे नाहीँ आवत है?

No comments:

Post a Comment

Popular Posts