Thursday, February 21, 2019

ओ पहाडिन!

ओ पहाडिन!

तोहार हमार कौन कौन चीज मिलत है?
मन मिलत है
सोच मिलत है
भविष्य कय योजना मिलत है
नाहीँ मिलत है तो
खाली ई नाम कय पिछे आय वाला नाम

पिताजी से जब भेट भए रहा
तब बडे सम्मान से हम
"बुवा नमस्ते" किहे रहेन
ऊ कुछ नाहीँ बोलिन् रहेँ
तूँ ही बाद मे बतायो कि
उ गुस्सा होइ गए रहेँ
"किन मधिसे रोजिस्?"
कहत रहेँ

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