हथेलियोँ मे लोगों ने अपनी तकदीर देखा
ईन नजरों ने तो सिर्फ उलझती लकिर देखा
उठाई जो उंगलिया गुनाहोँ की हिसाब मे
गुनाहगारों मे खुद की धुँधली सी तस्वीर देखा
सजदा किया रूह मे बसी खुदा के दर पे
हम मे दुनियाँ वालों ने ईक और काफिर देखा
चलने की ख्वाहिस जो कि नयी राहों मे
हम ने तो अपनोँ के ही मोहब्बत मे जन्जिर देखा
सब कुछ लुटा दिया हम ने मोहब्बत की नाम पे
जालिम जहाँ ! तुने इस दिवाने को फकिर देखा
Monday, September 6, 2010 at 5:00pm
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
-
ओ पहाडिन! तोहार हमार कौन कौन चीज मिलत है? मन मिलत है सोच मिलत है भविष्य कय योजना मिलत है नाहीँ मिलत है तो खाली ई नाम कय पिछे आय...
-
जति डुब्यो, त्यती गहिरो जता तान्यो, त्यहीँ पहिरो पाइला चल्यो, धर्ती भास्सिन्छ भाग्य पापी, खन्छ खोइरो उडन खोजेँ, खोलेँ पखेटा जता हेर्यो, त्यत...
-
मानापाथी भरि हेरेँ, किलोधार्नी जोखी हेरेँ । सुखभन्दा दुखै बढी, आखाँबाट पोखी हेरेँ ।। कैले सँगै बगी हेरेँ, कैले तर्किएर बसेँ । आवेगको बा...
-
बोलाए हुन्थ्यो त म हाजिर हुन्थे सेवामा सम्झनै गरे हुन्थ्यो त मुस्कुराउँदै आउँथे यादमा तिम्रो र मेरो ईच्छा एकै भएपछि गुनासो के रह्यो ति...
-
How lonely can a person get in a big city? Among millions of people its hard to find friend. Here are few moment I captured during my ...
No comments:
Post a Comment